नई दिल्ली। निखिल पाठक, अगस्त 11 -- दिल्ली की कड़कड़डूमा जिला अदालत ने भाई-बहन के बीच संपत्ति विवाद मामले में कहा कि जनरल पावर ऑफ अटॉरनी (जीपीए), वसीयत और एग्रीमेंट टू सेल जैसे दस्तावेज किसी को संपत्ति का मालिकाना हक नहीं देते। जिला न्यायाधीश आशीष गुप्ता की अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि इस तरह के लेन-देन वैध बिक्री या स्वामित्व हस्तांतरण नहीं माने जाते और ना ही इनके आधार पर बंटवारा किया जा सकता है। अदालत ने कहा कि वादी जिन दस्तावेज पर भरोसा कर रहा है, उन्हें मालिकाना हक देने वाले दस्तावेज नहीं माना जा सकता। ये केवल संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम की धारा 53ए के तहत सीमित हद तक की मान्य हो सकते हैं। वह भी तभी जब आंशिक क्रियान्वन की आवश्यक शर्तें पूरी हों। मामला वेस्ट करावल नगर स्थित सी ब्लाक की गली नंबर-तीन में एक 50...