नई दिल्ली, अप्रैल 29 -- वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि (03 मई) को भगवान शंकर की जटाओं से मां गंगा ने पृथ्वी की ओर अपनी यात्रा आरंभ की थी। ऐसी मान्यता है कि 'गंगा सप्तमी' के दिन गंगा स्नान करने से मनुष्यों को उसके हर तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है। गंगा सप्तमी के दिन गंगा शिव की जटाओं से निकली थीं और गंगा दशहरा के दिन गंगा का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था। विष्णु आदि पुराणों के अनुसार गंगा को भगवान विष्णु के बायें पैर के अंगूठे के नख से प्रवाहित होना बताया गया है। गंगा के जन्म के संबंध में पुराणों में अनेक कथाएं हैं। एक मान्यतानुसार भगवान विष्णु के वामन रूप में राक्षस बलि के प्रभुत्व से मुक्ति दिलाने के बाद ब्रह्माजी ने विष्णुजी के चरण धोए और उस जल को अपने कमंडल में भर लिया। इस जल से गंगा का जन्म हुआ। एक अन्य कथानुसार भगवान शिव ने संग...