नई दिल्ली, सितम्बर 19 -- CBSE vs ICSE : हर साल हजारों बच्चे अपनी फैमिली के कहीं दूसरे स्थान पर शिफ्ट होने या फिर बेहतर रिजल्ट व करियर की आशा में एक बोर्ड से दूसरे बोर्ड में स्विच करते हैं। बहुत से स्टूडेंट्स इसलिए भी बोर्ड बदलते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि उसका पैटर्न जेईई मेन जैसे इंजीनियरिंग एंट्रेंस एग्जाम या मेडिकल एंट्रेंस नीट की तैयारी के लिए ज्यादा मुफीद है। आमतौर पर आठवीं कक्षा या 10वीं कक्षा पास करने के बाद माता पिता बच्चों को एक बोर्ड से दूसरे बोर्ड में ट्रांसफर करते हैं। लेकिन क्या वाकई में एक बोर्ड से दूसरे बोर्ड में जाना आसान होता है? क्या इससे भविष्य में या जेईई या नीट की तैयारी में कोई फायदा होता है? जब 15 साल की दिशा 10वीं के बाद कोलकाता के आईसीएसई स्कूल से दिल्ली के सीबीएसई स्कूल में गई, तो उसने सोचा कि जिंदगी आसान हो ज...
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