पटना, अक्टूबर 9 -- बिहार विधानसभा का चुनाव इस बार कई मायनों में पिछले चुनावों से अलग है। यह चुनाव अगली कतार के कई राजनेताओं के लिए अंतिम साबित हो सकता है। बिहार की सियासत बीते चार दशकों से इन्हीं के इर्द- गिर्द सिमटी रही है। आज इनके नेतृत्व में आस्था रखने वाले वैसे नेताओं में बेचैनी है, जिन्हें अब तक आश्वासन ही मिला। उनके लिए यह पारी और बारी का चुनाव भी है। खासकर क्षेत्रीय दलों में नए नेतृत्व के कमान संभालने से इनका धैर्य अब जवाब देने लगा है। सन् 74 के आंदोलन से उपजे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद, लोजपा के संस्थापक स्व. रामविलास पासवान और बिहार में भाजपा संगठन को मजबूती देने वाले स्व. सुशील कुमार मोदी के करीबियों तथा इस पीढ़ी के लिए यह अंतिम चुनाव माना जा रहा है। रामविलास पासवान और सुशील मोदी का निधन हो चुका है। लालू ...