नई दिल्ली, मार्च 9 -- होलिका दहन से चार दिन पहले आती है आमलकी एकादशी, जो फाल्गुन मास की आखिरी एकादशी है। इसे रंगभरी एकादशी भी कहते हैं। इसके बाद से फाल्गुन का महीना खत्म होकर चैत्र का महीना लगता है। इन दिनों कहा जाता है कि भगवान का निवास आवंले में होता है, इसलिए इस दिन आंवले के नीचे बैठकर भगवान की कथा करनी चाहिए। इस दिन आंवला दान करने और आंवला की पूजा करना बहुत फल देता है।इसकी कथा इस प्रकार है- त्रेतायुग में एक बार राजा मांधाता ने ऋृषि वशिष्ट जी से अनुरोध किया कि अगर आप मुझ पर प्रसन्न हैं, तो कोई ऐसा व्रत बताएं, जिससे मेरा हर प्रकार से कल्याण हो। उन्होंने कहा, वैसे तो सभी व्रत उत्तम है, लेकिन सबसे उत्तम है, आमलकी एकादशी व्रत। इस व्रत को करने से सभी पापों का नाश होता है। इस व्रत को करने से एक हजार गायों के दान के बराबर फल मिलता है। यहां पढ...