रांची, जून 9 -- अड़की, प्रतिनिधि। जब पूरा इलाका जंगलों से अटा पड़ा था, रास्ते पगडंडियों तक सीमित थे, उसी समय वर्ष 1935 में अड़की प्रखंड अंतर्गत मदहातू पंचायत के एदेलहुड़ंग (नीचे मालुटी) गांव में शिक्षा की अलख जगाने के उद्देश्य से एक विद्यालय की स्थापना हुई थी। आज यह विद्यालय राजकीय प्राथमिक विद्यालय, मालुटी के नाम से जाना जाता है। लेकिन यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज 90 साल बाद भी यह स्कूल जंगली पत्थरों और मिट्टी से बने खपड़ैल दो कमरों में ही संचालित हो रहा है। स्कूल के बरामदे में ही बच्चों की पढ़ाई होती है। ग्रामीणों ने किया संघर्ष, लेकिन अधूरा रह गया सपना: वर्ष 2004 में एक नए भवन का निर्माण शुरू हुआ, परंतु गांव तक सड़क नहीं होने की वजह से निर्माण सामग्री वहां तक लाना बेहद कठिन था। इसके बावजूद गांव के लोगों ने बिना किसी मजदूरी के स्वयं ...