नई दिल्ली, अगस्त 27 -- भाद्रपद मास की पूर्णिमा और अश्विन मास की प्रतिपदा से श्राद्ध पक्ष शुरू हो जाता है। शास्त्रों में लिखा है कि आश्विन मास के कृष्ण पक्ष में यमपुरी से पितर अपनी संतानों, वंशजों से पिंडदान और जल लेने के लिए पृथ्वी पर आते हैं। इसलिए उनके तृप्ति के लिए इस पक्ष में हमें उनका श्राद्ध और तर्पण करना चाहिए। जिस दिन उनके निधन की तिथि हो, उस दिन प्रातः काल उठकर नदी, तालाब व गंगा में स्नान कर तिल, अक्षत, द्रव्य, फूल व हाथ में कुश लेकर वैदिक मंत्रों के साथ जल तर्पण करने से शांति के साथ मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसा कहा जाता है कि श्राद्ध पक्ष में पंचबलि कर्म अर्थात देव, पीपल, गाय, कुत्ते और कौवे को अन्न जल देने से पितृदेव प्रसन्न होते हैं। इसी के साथ ही चीटीं और मछलियों को भी अन्न देना चाहिए। जब श्राद्ध कर लें तो इस प्रकार प्रार्थ...