नई दिल्ली, नवम्बर 23 -- पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले में SIR के दौरान एक कमाल की घटना हुई। मतदाता सूची की संशोधन प्रक्रिया ने लगभग चार दशक से बिछड़े एक परिवार को फिर से मिला दिया। चक्रवर्ती परिवार ने 1988 में अपने बड़े बेटे विवेक चक्रवर्ती को खो दिया था। घर से निकलने के बाद विवेक का कोई अता-पता नहीं चला। बरसों तक खोजबीन की गई, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। अब तक उन्हें उम्मीद ही नहीं थी कि कभी फिर मिलन होगा। मगर, एसआईआर अभियान ने वो दरवाजा खोल दिया जो वे बंद समझ चुके थे। यह भी पढ़ें- वैष्णो देवी कॉलेज में MBBS की 50 सीटों में 41 मुस्लिम छात्रों को, मचा भारी बवाल विवेक के छोटे भाई का नाम प्रदीप चक्रवर्ती है। वह उसी इलाके के बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) हैं। एसआईआर के दौरान हर फॉर्म पर उनका नाम और मोबाइल नंबर छपा था। विवेक का बेटा कोलकाता में रहता है...