रामपुर, सितम्बर 10 -- जाने क्यों लोग जिंदगी से भाग रहे हैं। जीवन में जरा तनाव या संघर्ष बढ़ा नहीं कि बेचैन हो उठते हैं। यह बेचैनी इस कदर हावी हो जाती है कि वह आत्महत्या जैसा गलत कदम उठा लेते हैं। यह कदम भले ही एक लम्हे में लिया गया फैसला हो, लेकिन अपनों के लिए जिंदगी भर का जख्म बन जाता है। न्यूरो साइकेट्रिस्ट डा. अजमी नाज बताती हैं कि आत्महत्या का विचार आने से पहले व्यक्ति के मन में कई तरह के बदलाव आते हैं। इनमें से कुछ साफ दिखाई देते हैं। कई बार लोग कह भी देते हैं कि- 'अब जीने में मन नहीं लग रहा, चाहता हूं कि मर जाऊं, क्लेश खत्म हो। ऐसा अक्सर होता है और इसे गंभीरता से नहीं लिया जाता। जबकि यही व्यक्ति का ट्रिगर टाइम हो सकता है। यह 30 सेकेंड से लेकर 30 मिनट तक चल सकता है। उसकी हरकतों में बदलाव साफ दिखाई देने लगता है। उसे तभी किसी के सहारे ...