गिरडीह, जुलाई 6 -- बगोदर। एकीकृत बिहार के समय हुए अटका नरसंहार की घटना के भले ही 27 साल गुजर गए, मगर घटना को याद कर लोगों की रूह आज भी कांप जाती है। इसके अलावा सीएम की घोषणा के बाद भी आश्रित परिजनों को नौकरी नहीं मिलने का मलाल आज भी है। हालांकि आश्रितों ने नौकरी की आस अब भी नहीं छोड़ी है। उनके द्वारा नौकरी दिए जाने की मांग अब भी की जा रही है। 7 जुलाई 1998 को आज के ही दिन अटका में नक्सलियों ने पंचायत कर रहे लोगों पर अंधाधुंध फायरिंग कर दी थी। घटना में तत्कालीन मुखिया सहित 10 लोगों की जहां मौत हो गई थी वहीं कई लोग घायल भी हुए थे एवं कई लोग इस घटना में बाल-बाल बच गए थे। नरसंहार की 27वीं बरसी पर हिन्दुस्तान संवाददाता ने आश्रित परिजनों से मुलाकात की एवं घटना के बाद की राजनीतिक हलचल, सरकारी घोषणाएं एवं आश्वासन के बारे में जानने की कोशिश की। साथ...