बलिया, सितम्बर 15 -- रामगढ़, हिन्दुस्तान संवाद । बैरिया तहसील के चक्की-नौरंगा गांव में 24 घंटे के अंदर कोई मकान कटान में विलीन नहीं हुई। गंगा में शनिवार की शाम पांच बजे से ही लहरें शांत थीं। हालांकि लोग इसे तूफान से पहले की खामोशी मान रहे हैं। कटान की जद में आकर गंगा के मुहाने पर पहुंच चुके मकानों में रहने वाले लोग घर-गृहस्थी के सामानों के साथ रविवार को भी पलायन करते रहे। ग्रामीणों का कहना है कि हर बार तेज कटान से पहले गंगा में कुछ अजीब तरह की शांति नजर आती है। इस दौरान लहरें सतह की मिट्टी को एक-दो दिन तक पूरी तरह खोखला करतीं हैं। इसके बाद कटान की रफ्तार बढ़ जाती है और पानी के रास्ते में पड़ने वाला हर चीज पानी में समाहित हो जाती है। कटान की जद में आ चुके नंदजी साह, रामशंकर साह, संजय, आलोक, शत्रुघ्न के साथ ही अन्य लोग घर-गृहस्थी के सामानों ...