रांची, अगस्त 14 -- ओरमांझी, प्रतिनिधि। 1857 की जंगे-आजादी में अमर शहीद टिकैत उमरांव सिंह और शेख भिखारी का योगदान इतिहास के स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है। दोनों वीरों ने अंग्रेजी हुकूमत को छोटानागपुर में प्रवेश करने से रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी बहादुरी और संघर्ष से खफा होकर अंग्रेजों ने एक राजा की मदद से छलपूर्वक उन्हें बुलाकर बंदी बना लिया। वहीं बिना किसी अदालती कार्यवाही के सात जनवरी 1857 को मोरहाबादी स्थित टैगोर हिल के पास फांसी दे दी। इसके बाद उनके शवों को घसीटते हुए चुटूपालू घाटी लाया गया और एक बरगद के पेड़ पर लटका दिया गया। बताया जाता है कि जब अंग्रेज सेना उनके शवों को घसीट रही थी, तब मोरहाबादी से हजारों लोग उनके पीछे-पीछे चल रहे थे। टिकैत उमरांव सिंह बंधगांव के राजा थे और ओरमांझी के खटंगा में अपने भाई घासी सिंह के साथ रहत...