प्रयागराज, फरवरी 25 -- महाकुम्भ नगर। दिव्य-भव्य व डिजिटल महाकुम्भ अपनी पूर्णता की ओर है। महाशिवरात्रि के बाद मां त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगाने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं का जन प्रवाह भी कुछ रुकेगा। लेकिन संगम की रेती पर कठिन तप-साधना के साथ अभी भी श्रद्धालुओं आना जारी है। श्रद्धा, उल्लास और आस्था के आगे उनकी हर परेशानियां भी नतमस्तक हो जाती हैं। शनिवार की रात में कर्नाटक के मैसूर से पैदल चलकर महाकुम्भ पहुंचे सगे भाई नारायण लाल और मालाराम के पैर में छाले पड़ गए थे। एड़ी और पंजे में पट्टी बंधी थी लेकिन संगम की रेती का रज स्पर्श होतु ही उनके लिए मरहम बन गया। नारायण ने कहा कि अब तो सभी कष्ट मिट गए। मां गंगा का दर्शन-स्नान करके जीवन धन्य हो गया।

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