नई दिल्ली, अक्टूबर 24 -- 12 से 16 साल की उम्र बच्चों के जीवन का वो समय होता है, जब वे खुद को समझने और अपनी पहचान बनाने की कोशिश करते हैं। इस दौरान ना तो वो पूरी तरह बच्चे रहते हैं और ना ही मैच्योर होते हैं। ऐसे में वे अपने फैसले खुद लेना चाहते हैं, अपनी जिंदगी को अपने हिसाब से जीना चाहते हैं और चाहते हैं कि फैमिली में उनकी बात को अहमियत दी जाए। इस एज के बच्चों के पेरेंट्स के लिए भी यह काफी मुश्किल वक्त होता है। क्योंकि यही वह समय होता है जब पेरेंट्स के लिए यह तय करना सबसे मुश्किल हो जाता है कि बच्चे को कितनी आज़ादी दी जाए, जिससे बच्चों को फ्रीडम भी मिले और सही रास्ता भी दिखाया जा सके। पेरेंटिंग कोच पुष्पा शर्मा कहती हैं कि 12 से 16 साल की एज में बच्चों को आजादी की जरूरत तो होती है, लेकिन उसी के साथ सही गाइडेंस और सीमाएं तय करना भी बहुत जर...
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