नई दिल्ली, अगस्त 19 -- सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पंजाब एवं हरियणा हाईकोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा था कि 16 साल की मुस्लिम लड़की किसी मुस्लिम लड़के से विवाह कर सकती है। हाईकोर्ट ने जोड़े को सुरक्षा प्रदान करने का आदेश दिया था। इसके साथ ही, शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की अपील खारिज कर दी। जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और आर. महादेवन की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि एनसीपीसीआर इस मामले से अनजान है और उसे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने का कोई अधिकार नहीं है। जस्टिस नागरात्ना से सुनवाई के दौरान एनसीपीसीआर से सवाल किया कि धमकियों का सामना कर रहे जोड़े के जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा प्रदान करने वाले हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती क्यों देनी च...