देहरादून, अगस्त 29 -- राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने वाहन चोरी के मामले में बीमा कंपनी के इस तर्क को अस्वीकार कर दिया कि उसे देरी से सूचना दी गई। आयोग ने कहा कि केवल सूचना में देरी को आधार बनाकर बीमा दावे को अस्वीकार नहीं किया जा सकता। जबकि मामले की प्रामाणिकता सिद्ध हो रही है। रोशनाबाद, हरिद्वार निवासी तस्लीम का टाटा ऐस वाहन 14 अप्रैल 2014 को चोरी हो गया था। जिसका बीमा नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड से 17,184 रुपये का प्रीमियम देकर 22 फरवरी 2014 से 22 फरवरी 2015 के लिए किया था। यह वाहन टाटा मोटर्स फाइनेंस लिमिटेड से फाइनेंस किया गया था। उन्होंने इसकी रिपोर्ट पुलिस के साथ ही बीमा और फाइनेंस कंपनी को दी थी। पुलिस वाहन नहीं ढूंढ पाई और अदालत में फाइनल रिपोर्ट लगा दी। फिर भी तस्लीम को बीमा कंपनी से दावा राशि नहीं दी। बाद में जिला उपभोक्...
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