अल्मोड़ा, मार्च 6 -- अल्मोड़ा, कार्यालय संवाददाता। जागेश्वर धाम में उत्तराखंड संस्कृत अकादमी हरिद्वार की ओर से दो दिवसीय विवाह संस्कार प्रशिक्षण कार्यशाला संपन्न हुई। दूसरे दिन गुरुवार को प्रशिक्षकों ने पुजारियों को बताया कि सप्तपदी बगैर विवाह अपूर्ण हैं। लिहाजा आचार्यों को विवाह के समस्त कर्मकांड पूरे करने चाहिए। डॉ. हरीश चंद्र गुरुरानी और साहित्याचार्य डॉ. चंद्र बल्लभ बेलवाल ने विवाह पद्यतियों को बताया। कहा कि ब्रह्म विवाह में जयमाला का कोई औचित्य नहीं होता है। ब्रह्म विवाह में धूलीअर्घ्य, सप्तपदी आदि कर्मकांड अनिवार्य रूप से होने चाहिए। मौजूदा दौर में यजमान आचार्यों पर शॉर्ट कर्ट में शादी कराने के दबाव बनाने हैं। बारात पहुंचते ही जयमाला कार्यक्रम करा दिया जाता है। शास्त्रों के अनुसार प्रचलित विवाह के कई कर्मकांडों का लगातार लोप हो रहा ...