प्रयागराज, सितम्बर 30 -- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि किसी पत्नी को केवल इस काल्पनिक आधार पर सीआरपीसी की धारा 125 के तहत गुजारा भत्ता देने से इनकार नहीं किया जा सकता कि उसकी शादी अमान्य होने योग्य है। यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव लोचन शुक्ल ने श्वेता जायसवाल की पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई के बाद दिया है। इसी के साथ कोर्ट ने प्रधान परिवार न्यायालय चंदौली के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें एक पत्नी को गुजारा भत्ता देने से इनकार कर दिया गया था। हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के तर्क को विकृत और स्पष्ट रूप से अवैध करार दिया और पत्नी के दावे पर नए सिरे से निर्णय के लिए मामले को वापस भेज दिया। परिवार न्यायालय चंदौली ने पति से व्यक्तिगत गुजारा भत्ते के पत्नी (याची) के दावे को खारिज कर दिया था हालांकि उनकी नाबालिग बेटी को दो हजार र...
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