बिजनौर, अक्टूबर 9 -- पिछले कुछ वर्षों में आत्महत्या के मामलों में लगातार वृद्धि ने समाज के हर वर्ग को झकझोर कर रख दिया है। आत्महत्या के बढ़ते मामले सिर्फ़ आंकड़े नहीं हैं - ये हमारे समाज की उस मौन पीड़ा के संकेत हैं जिसे हम देख तो रहे हैं, पर सुन नहीं पा रहे। विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर मनोस्वास्थ्य विशेषज्ञ एवं लाइफ कोच डा. शुभि बिश्नोई ने यह बात कही। डा. शुभि बिश्नोई के अनुसार आधुनिक जीवन की भागदौड़, लगातार तुलना और 'लोग क्या कहेंगे जैसी सोच ने व्यक्ति के मन को कमजोर कर दिया है। हमारा समाज आज भी मानसिक स्वास्थ्य को लेकर 'लोग क्या कहेंगे जैसी सोच से जकड़ा हुआ है। युवाओं में पढ़ाई, करियर और रिश्तों का दबाव बढ़ गया है। सोशल मीडिया ने हर किसी के जीवन को प्रतिस्पर्धा बना दिया है, जहां हर तस्वीर मुस्कान दिखाती है, पर पीछे अक्सर थकान और अकेलापन छि...