नैनीताल, नवम्बर 5 -- मुक्तेश्वर, संवाददाता। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के प्रायोजित 'इंटीग्रेटेड डायग्नॉस्टिक्स फॉर जूनोटिक थ्रेट्स: ए वन हेल्थ कैपेसिटी-बिल्डिंग हैंड्स-ऑन ट्रेनिंग' प्रशिक्षण कार्यक्रम बुधवार को भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर-आईवीआरआई) मुक्तेश्वर कैंपस में आयोजित किया गया। जिसमें देश के विभिन्न राज्यों से आए 30 चयनित प्रतिभागियों ने भाग लिया। मुख्य अतिथि कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के पूर्व पशुपालन आयुक्त प्रो. सुरेश एस हॉन्नप्पागोल ने प्रतिभागियों को उन्नत निदान तकनीकों के विकास पर विचार करने को प्रेरित किया। कहा कि रोगों की शीघ्र पहचान के लिए 'रैपिड डायग्नोस्टिक किट्स' का विकास समय की आवश्यकता है। जो न केवल रोगों की प्रारंभिक अवस्था में पहचान करने में सहायक होंगी, बल्कि प्रभावी नियंत...