अररिया, मार्च 14 -- अररिया। वरीय संवाददाता। वर्तमान में होली गीत व जोगिरा धीरे-धीरे गुम होती जा रही है। इसकी जगह डीजे ने ले लिया है। लेकिन अच्छी बात ये है कि रेणु जनपद में आज भी होली गीत व जोगिरा जीवंत है। इस जनपद में आज भी लोग जोगिरा गाते व थिरकते आपको मिल जाएंगे। खास बात यह कि यह अधिकांश जोगिरा रेणु जी के ही रचित होते हैं। इन गीतों में हास्य-व्यंग्य के साथ सामाजिक विसंगतियों की कटु सच्चाई भी छिपी रहती है। एक बानगी-बरसा में गड्ढे जब भर जाते हैं चर... बैंग हज़ारों उसमें करते हैं टर्र... वैसे ही राज आज ...का है...लीडर बने हैं सभी कल के गीदड़....जोगी जी सरर..र..र। वयोवृद्ध साहित्यकार भोला पंडित 'प्रणयी कहते हैं कि होली के अवसर पर गाए जाने वाले जोगिरा के माध्यम से रेणु जी विरोधियों, भ्रष्टाचारियों आदि की कलई खोलते नजर आए हैं। 'बुरा न मानो होल...