नई दिल्ली, मई 8 -- दिल्ली हाई कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया है कि संपत्ति सहित लोगों के नागरिक अधिकारों की रक्षा करना राज्य की जिम्मेदारी है। कोर्ट ने एक फैसले में कहा कि संपत्ति का अधिकार अब मौलिक अधिकार नहीं है, लेकिन यह एक पवित्र संवैधानिक और कानूनी अधिकार बना हुआ है। बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि राज्य को संपत्ति के अधिकार का उल्लंघन करने के बजाय उनकी रक्षा करने के संवैधानिक दायित्व पर जोर देना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि संपत्ति का अधिकार अब मौलिक अधिकार नहीं है, लेकिन यह संविधान के अनुच्छेद 300ए के तहत एक पवित्र संवैधानिक और कानूनी अधिकार बना हुआ है। जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव ने 2 मई को फैसला सुनाते हुए कहा कि राज्य एक संवैधानिक प्राधिकरण और सार्वजनिक विश्वास का भंडार है। इस नाते व...