नई दिल्ली, अक्टूबर 13 -- सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि न्यायिक सेवाओं में आने वाली लगभग 60 प्रतिशत न्यायिक अधिकारी महिलाएं हैं और वे आरक्षण के कारण नहीं बल्कि योग्यता के आधार पर सेवा में आ रही हैं। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने देशभर की विभिन्न अदालतों और बार एसोसिएशनों में महिला वकीलों को पेशेवर चैंबर/केबिन आवंटित करने के लिए एकसमान और लैंगिक रूप से संवेदनशील नीति बनाने की मांग वाली याचिका पर केंद्र, भारतीय विधिज्ञ परिषद, शीर्ष अदालत के महासचिव और अन्य को नोटिस जारी किए। जस्टिस कांत ने महिला वकीलों को चैंबर आवंटन में आरक्षण की मांग वाली याचिका पर सवाल उठाया और कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से चैंबर प्रणाली के खिलाफ हैं और इसके बजाय क्यूबिकल प्रणाली और सामान्य बैठने की जगह होनी चाहिए, जहां वकील काम कर सकें। ...