प्रयागराज, अक्टूबर 9 -- उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय में रेनासा यूनिवर्सल, आनंद मार्ग प्रचारक संघ, कोलकाता की बौद्धिक शाखा के सहयोग से भारतीय ज्ञान प्रणाली में आनंदमूर्ति के योगदान पर गुरुवार को राष्ट्रीय संगोष्ठी हुई। मुख्य वक्ता आनंद मार्ग प्रचारक संघ के केंद्रीय जनसंपर्क सचिव आचार्य दिव्यचेतनानंद अवधूत ने आनंद मार्ग दर्शन के तीन दृष्टिकोणों अंतर्ज्ञान आत्मिक दृष्टिकोण, मनो-बौद्धिक दृष्टिकोण और सामाजिक-आर्थिक दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला। सबसे पहले उन्होंने सुख और आनंद का अर्थ समझाया। अनंत सुख ही आनंद है और यह अनंत आनंद ब्रह्म है। कोई भी जीव थोड़े से संतुष्ट नहीं होता, मनुष्य की तो बात ही छोड़िए। व्यक्ति अंतहीन सुख चाहता है। यह अंतहीन सुख और दुख की सीमाओं से परे की स्थिति है। इस असीम खुशी को ही आनंद के रूप में जाना जाता है। म...