प्रयागराज, जुलाई 30 -- प्रेमचंद जयंती की पूर्व संख्या पर युवा सृजन संवाद की ओर से बुधवार को 'भारत का वर्तमान और किसान: संदर्भ प्रेमचंद' विषय पर घर-गोष्ठी हुई। इलाहाबाद विश्वविद्यालय हिंदी विभाग के प्रो. संतोष भदौरिया ने कहा कि प्रेमचंद भारतीयता को अभिव्यक्त करने वाले प्रतिनिधि रचनाकार हैं। जीवन को समग्रता में देखना उनके लेखन की खास विशेषता है। प्रेमचंद के लेखन की व्याप्ति समाज के प्रत्येक व्यक्ति तक थी। उन्होंने कहा कि प्रेमचंद का साहित्य, उनके उपन्यास और कहानियां हमें उपनिवेशवादी समय को समझने में मदद करते हैं। आज के नवसाम्राज्यवादी दौर को भी उनके लेखों और संपादकीय टिप्पणियों से डीकोड किया जा सकता है। अध्यक्षता करते हुए उर्दू के कथाकार असरार गांधी ने कहा कि प्रेमचंद ने अपने उर्दू और हिंदी में लेखन से कई पीढ़ियों में वैज्ञानिक चेतना पैदा की...
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