नई दिल्ली। पीटीआई, अगस्त 22 -- सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को झारखंड हाईकोर्ट को एक महिला एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज को राहत देने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि हाईकोर्टों को अपने न्यायिक अधिकारियों के लिए 'माता-पिता' की तरह काम करना चाहिए। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने झारखंड हाईकोर्ट से कहा कि वह सिंगल पैरेंट महिला जज को हजारीबाग में ही रहने दे या उनके बेटे की 12वीं क्लास की परीक्षाओं को ध्यान में रखते हुए बोकारो ट्रांसफर कर दे। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बी.आर. गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच ने अनुसूचित जाति वर्ग से संबंधित एक अतिरिक्त जिला न्यायाधीश (एडीजे) की याचिका पर संज्ञान लेते हुए कहा, ''हाईकोर्ट को अपने न्यायिक अधिकारियों की समस्याओं के प्रति सजग रहना होगा।'' महिला जज ने छह महीने की चाइल्ड केयर लीव रिक्वेस्...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.