कोलकाता, अक्टूबर 31 -- पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की घोषणा के बाद से ही राज्य की मतुआ बस्तियों में भय, असंतोष और संशय का माहौल बन गया है। 2002 के बाद पहली बार इस तरह की कवायद हो रही है जिसका उद्देश्य मृत, दोहराए गए और अयोग्य मतदाताओं के नाम हटाना बताया गया है। लेकिन सीमा से सटे उत्तर 24 परगना, नदिया और दक्षिण 24 परगना जिलों में बसे लाखों मतुआ शरणार्थी हिंदुओं को डर है कि इस प्रक्रिया में उनके नाम मतदाता सूची से मिटाए जा सकते हैं।2002 की सूची से जुड़ा नया संकट चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि जिन लोगों के नाम 2002 की मतदाता सूची में नहीं हैं, उन्हें अब अपनी पात्रता साबित करने के लिए दस्तावेज जमा करने होंगे। लेकिन मतुआ समुदाय के हजारों लोग दशकों से बांग्लादेश से आकर बसे हैं, जिनके पास नागरिकता से जुड़े दस्तावेज...