वाराणसी, मार्च 8 -- वाराणसी, वरिष्ठ संवाददाता। पुराणों में काशी का अलग-अलग युगों में अलग-अलग आकार बताया गया है। यह सतयुग में त्रिशूल, त्रेतायुग में चक्र, द्वापर में रथ और कलियुग में शंख जैसा है। यह स्वरूप कल्पित नहीं बल्कि जिओ मैग्नेटिक सर्वे के आधार पर सिद्ध है। बीएचयू के पूर्व प्रोफेसर राणा पीबी सिंह ने शुक्रवार को काशीकथा न्याय और भारत अध्ययन केंद्र की तरफ से आयोजित 15 दिनी कार्यशाला के तीसरे दिन यह बातें कहीं। काशी की पौराणिक यात्राओं, मंदिरों और दूसरे धर्मों के स्थलों के वर्णन के साथ ही उन्होंने कहा कि कॉरीडोर निर्माण में काशी की जड़ों से जुड़े लोगों को शामिल नहीं किया गया। इससे कई धार्मिक यात्राएं भंग हो गईं। बीएचयू के भारत अध्ययन केंद्र सभागार में व्याख्यान देते हुए प्रो. सिंह ने कहा कि काशी का ज्ञान किसी एक काल का नहीं है। यह एक प...