नई दिल्ली, अगस्त 25 -- देश में शिक्षकों की स्थिति पर बड़ी टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर उन्हें सम्मानजनक वेतन भी नहीं मिल पा रहा है तो फिर 'गुरूर ब्रह्मा, गुरूर विष्णु, गुरूर देवो महेश्वरा' गाना ही बेकार है। गुजरात सरकार की आलोचना करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कॉन्ट्रैक्चुअल असिस्टेंट प्रोफेसर को मात्र 30 हजार रुपये की सैलरी दी जा रही है, जबक ऐड हॉक और रेग्युलर असोसिएट प्रफेसर का वेतन 1.2 से 1.4 लाख रुपये के बीच है। जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने कहा, जो शिक्षक हमारी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य तय करते हैं और उन्हें आने वाले समय के लिए तैयार करते हैं, उनके साथ ही इस तरह का व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। बेंच ने कहा, किसी भी देश के लिए शिक्षक रीढ़ की हड्डी की तरह होते हैं जो कि हमारे बच्...