नई दिल्ली, जुलाई 1 -- 'आई लव यू कहना केवल भावनाओं को प्रकट करना है, 'यौन उत्पीड़न नहीं। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने 2015 में एक किशोरी से छेड़छाड़ के आरोपी व्यक्ति को बरी कर दिया। न्यायमूर्ति उर्मिला जोशी फाल्के की पीठ ने सोमवार को पारित आदेश में कहा कि ऐसी कोई परिस्थिति नहीं थी जिससे यह संकेत मिले कि उसका वास्तविक इरादा पीड़िता के साथ यौन संपर्क स्थापित करना था। हाईकोर्ट ने कहा कि मौजूदा मामले में ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे पता चले कि आरोपी ने यौन उत्पीड़न के इरादे से 'आई लव यू' कहा था। कोर्ट ने कहा कि आई लव यू कहना यौन उत्पीड़न नहीं माना जा सकता, जैसा कि सत्र अदालत ने माना है। नागपुर की एक सत्र अदालत ने 2017 में भारतीय दंड संहिता और पॉक्सो अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत उसे दोषी ठहराया था और उसे तीन साल के कारावास की सजा सुनाई थी...