नई दिल्ली, सितम्बर 22 -- सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि न्यायपालिका को जनता की वैध अपेक्षाओं को पूरा करना होगा। शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट के जजों के कामकाज के मूल्यांकन पर दिशा-निर्देशों की जरूरत को दोहराते हुए यह टिप्पणी की। जस्टिस सूर्यकांत और एन. कोटिस्वर सिंह की पीठ ने यह भी कहा कि जजों के पास स्व-प्रबंधन प्रणाली होनी चाहिए ताकि अदालत में फाइलों का ढेर न लगे, जिससे चिंता पैदा हो और बार-बार मामले की सुनवाई स्थगित करने की नौबत नहीं आए। पीठ ने झारखंड हाईकोर्ट द्वारा मामले में फैसला सुरक्षित रखने के लगभग तीन साल की देरी से निर्णय देने के मुद्दे पर विचार करते हुए यह टिप्पणी की। सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि एक और बात जो हम सुझा सकते हैं, वह है जजों के कामकाज के प्रदर्शन का मूल्यांकन। उन्होंने कहा कि यह भी एक बहुत बड़ी चुनौती ...