नई दिल्ली, जून 27 -- नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। विगत दिवस आपातकाल पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने संविधान की प्रस्तावना से दो शब्दों धर्मनिरपेक्षता और समाजवादी को हटाने की मांग नहीं की थी, बल्कि उन्होंने समीक्षा की जरूरत बताई थी। 'हिन्दुस्तान में 27 जून के अंक में भूलवश हटाने की बात प्रकाशित हो गई। उन्होंने कहा था कि आपातकाल के दौरान भारत के संविधान की प्रस्तावना में दो शब्द जोड़े गए। धर्मनिरपेक्षता और समाजवादी। वे संविधान की प्रस्तावना में पहले नहीं थे। प्रस्तावना शाश्वत रूप से है। उन्होंने कहा कि क्या समाजवाद का विचार भारत के लिए विचारधारा के नाते शाश्वत है, सेकुलरिज्म का शब्द संविधान में नहीं था वो प्रस्तावना में जोड़ा है। उन्होंने कहा कि इन दो शब्दों क...