अररिया, नवम्बर 10 -- फारबिसगंज, निज संवाददाता। सोमवार की रात लोकतंत्र के लिए निर्णायक रात होगी । यह रात तय करेगी कि हमारा देश सशक्त लोकतंत्र की ओर बढ़ेगा या फिर पांच वर्षों के लिए समझौतों के अंधेरे में भटक जाएगा। विधानसभा चुनाव के मतदान से पहले जो सियासी सरगर्मियां हैं, उनमें दावे-प्रतिदावे के साथ धनबल और प्रलोभन का खेल भी चरम पर है। कुछ बड़े-बड़े चेहरे आम मतदाताओं की ईमानदारी को खरीदने के लिए मैदान में हैं। सवाल यह नहीं कि कौन खरीदना चाहता है, बल्कि यह है कि क्या हम बिकने को तैयार हैं? हर पांच साल में जनता को अपने भाग्य और देश की दिशा तय करने का अवसर मिलता है। यही वह पल है जब एक वोट की चोट से जनमानस ऐसी परंपरा गढ़ सकता है, जिसमें चुने गए नेता अगले पांच वर्षों तक सिर्फ काम को ही अपना धर्म मानें। 'हिन्दुस्तान' ने हमेशा आम जन की आवाज़ को बुलंद ...