एटा, मार्च 20 -- आयुष विंग में प्रतिदिन 200 से 250 मरीज विभिन्न रोगी पहुंच रहे है। होली के बाद बढ़ रही सीजनल बीमारियों बढ़ने पर यहां पर भी भीड़ पहुंच रही है। आयुर्वेद चिकित्सक डा. मनोज गुप्ता ने बताया कि होली के बाद मौसम में बड़ा बदलाव आता है। फाल्गुन के ठंडे-गरम वातावरण से फरवरी, मार्च की गर्मी का प्रवेश होता है। इस समय शरीर में जमी हुई ठंडक और सर्दियों में संचित विषाक्त पदार्थ बाहर निकलने लगते हैं। यदि इन्हें सही समय पर बाहर न निकाला जाये तो यह विभिन्न बीमारियों का कारण बन सकते हैं। बढ़ा हुआ पित्त अंसतुलित हो जाये तो एसिडिटी, त्वचा रोग, सिर दर्द, चिड़‌चिड़ापन, कमजोरी और पाचन संबंधी समस्याएं उत्पन्न कर सकता है। होली दौरान लोग तले-भुने और भारी खाद्य पदार्थ, मिठाइयों और रंगों के संपर्क में आते हैं। यह शरीर में विषावनता को बढ़ाते हैं। इसलिए इ...