दरभंगा, मई 29 -- बिहार में मौजूदा दौर में होमियोपैथी चिकित्सा सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है। स्प्रिट की बिक्री पर नियंत्रण से दवाओं की सप्लाई चेन टूट गई है। बाजार में दवाएं कम हो गई हैं। सरकार ने किसी भी दवा की शीशी 30 एमएल तक सीमित कर दी है। इससे डॉक्टर अपने क्लिनिक में एक ही दवा की 30 एमएल की शीशी रख सकते हैं। इससे दवा की कमी हो रही है। छोटी पैकिंग के कारण दवा की कीमत भी बढ़ गई है। मरीजों पर इसका सीधा असर पड़ा है। डॉ. कैलाश सिंह, डॉ. भरत कुमार सिंह, डॉ. एकरामुल हक व डॉ. अमरनाथ शरण ने कहा कि सरकार की गलत नीतियों से होमियोपैथी की पढ़ाई करने वाले छात्रों की संख्या भी घट रही है। कॉलेजों में नामांकन लगातार कम हो रहा है। डॉक्टरों ने मांग की कि नीट परीक्षा में होमियोपैथी के लिए अलग व्यवस्था हो। इससे नामांकन बढ़ेगा। डॉक्टरों ने कहा कि सरकार होमिय...