सिद्धार्थ, मार्च 31 -- सिद्धार्थनगर, निज संवाददाता। भागवत कथा परमात्मा का अक्षर स्वरूप है, जो हृदय को जागृत कर मुक्ति का मार्ग दिखाती है। भागवत कथा भगवान के प्रति अनुराग उत्पन्न करती है और यह ग्रंथ वेद, उपनिषद का सार रूपी फल है। मृत्यु को जानने से मृत्यु का भय मन से मिट जाता है, जिस प्रकार परीक्षित ने भागवत कथा का श्रवण कर अभय को प्राप्त किया। ये बातें श्री सिहेंश्वरी देवी मंदिर के व्यवस्थापक और कथा व्यास आचार्य दिव्यांशु ने नौगढ़ क्षेत्र के सुकरौली गांव में शुरू नौ दिवसीय संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा के पहले दिन कहीं। आचार्य दिव्यांशु ने कहा कि श्रीमद्भागवत पुराण भगवान श्रीकृष्ण की दिव्य लीलाओं का वर्णन करता है, जिसका मूल सार भक्ति, ज्ञान, वैराग्य और मोक्ष प्राप्ति है। उन्होंने बताया कि जीवन की व्यथा को जो तत्क्षण समाप्त कर दे वही कथा है। भ...