हाथरस, अक्टूबर 31 -- हाथरस, हिन्दुस्तान संवाद। ब्रज की द्वार देहरी कहे जाने वाले हाथरस में 135 साल से कंस वंध की परंपरा चली आ रही है। मथुरा के अलावा हाथरस में ग्वालों के द्वारा लाठियों से पीटकर कंस का वध किया जाता है। शहर में कंस वंध से पहले शोभायात्रा निकाली जाती है। इस पंरपरा को शहर का पोद्दार परिवार निभा रहा है। इन दिनों बैनीराम बाग में कृष्ण का आयोजन हो रहा है। समापन के दौरान एक नवम्बर को कंस वध किया जाएगा। हाथरस शहर में आज भी प्रचीन परंपराएं देखने के लिए मिलती हैं। शहर के सेठ बैनीराम का श्रीधाम वृंदावन में टेड़े खंभा मंदिर के सेवायतों के यहां समधियाना था। वह एक बार वृंदावन गए थे। वहां उन्होंने कंस वध की लीला को देखा। इसके बाद 1890 सेठ बैनीराम के द्वारा बाग में पहली बार ट्रस्ट बनाकर कृष्ण लीला की शुरुआत की। जब से यह परंपरा लगातार चली ...