देहरादून, सितम्बर 7 -- भारतीय हिमालय, जो धार्मिक,सांस्कृतिक और प्राकृतिक महत्व का प्रतीक है, आज अभूतपूर्व संकट का सामना कर रहा है। यह संकट प्रकृति की अनदेखी और मानव की अविवेकपूर्ण गतिविधियों का परिणाम है। करीब 2500 किमी लंबा और 3 करोड़ वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हिमालय, लगभग 5 करोड़ लोगों और असंख्य जीव-जंतुओं और वनस्पतियों का आश्रय है। यह भारतीय उपमहाद्वीप की जलवायु और कृषि का आधार है, लेकिन आज यहां मानव जीवन और जैव-विविधता खतरे में है। प्राकृतिक आपदाओं की बढ़ती चुनौती भारत के हिमालयी राज्य बार-बार बाढ़, भूस्खलन, भूकंप, अतिवृष्टि, बादल फटने, हिमस्खलन और ग्लेशियर झीलों के टूटने की चपेट में हैं। इस वर्ष जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में आई त्वरित बाढ़ ने जन-धन की अपार हानि के साथ-साथ जैव-विविधता को भी गंभीर नुकसान पहुंचाया है। रि...
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