सीकर, अगस्त 20 -- रैवासा धाम की पावन भूमि पर जैसे ही धीरेंद्र शास्त्री ने मंच संभाला, समूचे वातावरण में जय श्रीराम के जयकारे गूंज उठे। 9 दिवसीय 'सियपिय मिलन महोत्सव' में कथावाचक पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने जो कुछ कहा, वो सिर्फ़ शब्द नहीं, आग थे। राष्ट्रवाद, धर्म, परंपरा और गोमाता की रक्षा का ऐसा मिला-जुला संग्राम छेड़ा कि हर भक्त का दिल दहाड़ उठा। धीरेंद्र शास्त्री ने कहा - "हिंदू राष्ट्र का झंडा कहीं भी फहराए, पहला झंडा राजस्थान की धरती पर ही लहराएगा।" उन्होंने महाराणा प्रताप का ज़िक्र करते हुए कहा कि यह वही धरती है जहां तलवारें धर्म की रक्षा के लिए उठी थीं, जहां वीरता और भक्ति साथ-साथ चलती हैं।कट्टरता की मिसाल - इंसान नहीं, जानवर भी! धीरेंद्र शास्त्री बोले - "राजस्थान तो सिर्फ़ इंसानों की बात नहीं करता, यहां तो घोड़े और हाथी भी कट्टर हिं...