रिषिकेष, नवम्बर 7 -- कथा मर्मज्ञ स्वामी भक्ति प्रसाद त्रिविक्रम महाराज ने कहा कि विवाह केवल एक सांसारिक संबंध नहीं, बल्कि साक्षात ईश्वर के साथ आत्मिक संबंध और सच्चे प्रेम का प्रतीक है। इसलिए सभी को इसे भक्ति और प्रेम भाव के साथ वैवाहिक जीवन को निभाना चाहिए। तभी जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। शुक्रवार को जौलीग्रांट में आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण कथा के छठे दिन रुक्मणि मंगल विवाह का दिव्य प्रसंग सुनाया गया। कथा वाचक त्रिदण्डी स्वामी भक्ति प्रसाद त्रिविक्रम महाराज ने कहा कि रुक्मणि का विवाह भगवान श्री कृष्ण से होना उनकी अडिग भक्ति, समर्पण और विश्वास का प्रतीक है। रुक्मणि ने सच्चे हृदय से भगवान से विवाह की अभिलाषा की और कृष्ण ने उनके समर्पण को स्वीकार कर उनके सभी कष्टों को दूर किया। उन्होंने उपस्थित भक्तों से रुक्मणि के भव्य विवाह से प्र...