अलीगढ़, अक्टूबर 17 -- अलीगढ़, वरिष्ठ संवाददाता। सड़क हादसों और ट्रॉमा केस में जिंदगी और मौत के बीच का फासला अक्सर कुछ ही मिनटों का होता है। चिकित्सक इसे ही 'गोल्डन ऑवर और 'प्लैटिनम डिसीजन कहते हैं। यानी हादसे के बाद पहले एक घंटे में लिया गया सही फैसला और त्वरित उपचार किसी की जिंदगी बचा सकता है। दीनदयाल अस्पताल में निर्माणाधीन क्रिटिकल केयर यूनिट ऐसे ही गंभीर मरीजों के उपचार के लिए तैयार हो रही है। हर साल देश में बढ़ते सड़क हादसे और चोटों के मामलों ने चिंता बढ़ा दी है। एक रिपोर्ट के अनुसार देश में हर घंटे औसतन 55 सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, जिनमें लगभग 20 लोगों की जान चली जाती है। इनमें से 66.4 प्रतिशत पीड़ित 18 से 45 वर्ष की आयु के युवा होते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार ट्रॉमा पीड़ितों की जान अक्सर इलाज में देरी के कारण जाती है, जबकि समय रहते स...