बरेली, अक्टूबर 24 -- बरेली-दिल्ली हाईवे से गुजरते समय अक्सर सड़कों के किनारे महिलाएं एक विशेष तरह की हरी घास काटती नजर आती हैं। पहली नजर में यह सामान्य घास लगती है, लेकिन अब यह घास ग्रामीण महिलाओं की आजीविका का बड़ा साधन बन चुकी है। इस औषधीय गुणों वाली घास का नाम है जेवरी, जो इन दिनों बरेली से लेकर रामपुर और मुरादाबाद तक आयुर्वेदिक दवा कंपनियों की पसंद बन गई है। बरसात के मौसम में यह घास खेतों, जंगलों और सड़कों के किनारे अपने आप उग आती है। लंबे समय तक इसे ग्रामीण केवल खरपतवार समझते थे, मगर अब इसी घास ने उनके जीवन में मिठास घोल दी है। करीब एक साल पहले आयुर्वेदिक दवा फर्मों की एक टीम ने मीरगंज क्षेत्र के गांवों में सर्वे किया था। टीम ने ग्रामीणों को बताया कि इस घास का औषधीय महत्व है और यह कई पेट से जुड़ी बीमारियों में लाभकारी साबित होती है। ...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.