अलीगढ़, सितम्बर 12 -- अलीगढ़, वरिष्ठ संवाददाता। भारत का संविधान प्रत्येक व्यक्ति को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा की गारंटी देता है। इसी मौलिक अधिकार के तहत किसी मुकदमे में जेल में बंद व्यक्ति को भी जमानत मांगने का अधिकार है। लेकिन, जरा सोचिये कि अगर जमानत अर्जी के फैसले के लिए उसे कई माह या वर्षों तक इंतजार करना पड़े तो क्या होगा? कानून के जानकारों का कहना है कि जिले में कई ऐसे प्रकरण हो चुके हैं, जिनमें मुल्जिम की जमानत अर्जी पर निर्णय आने में इतना लंबा समय लग गया कि उससे पहले उस केस का ही निस्तारण हो गया। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने देशभर की हाईकोर्ट्स और ट्रायल कोर्ट्स को निर्देश दिया है कि वे जमानत और अग्रिम जमानत से जुड़ी याचिकाओं को तीन से छह माह के अंदर निपटाएं। जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की खंडपीठ ने कहा...