नई दिल्ली, दिसम्बर 7 -- नई दिल्ली, प्रमुख संवाददाता। दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (डीएमआरसी) के पक्ष में दिए गए मध्यस्थता अवॉर्ड को बरकरार रखते हुए पार्श्वनाथ डेवलपर्स लिमिटेड (पीडीएल) को झटका दिया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि तीस हजारी मेट्रो स्टेशन पर वाणिज्यिक क्षेत्र के विकास से जुड़ी परियोजना में किसी भी तरह की चूक डीएमआरसी की ओर से नहीं हुई, बल्कि पूरा विवाद पारसवनाथ और उसके सब-लाइसेंसी की लापरवाही का परिणाम था। न्यायमूर्ति जस्मीत सिंह की पीठ ने कहा कि कंसेशन एग्रीमेंट के तहत पीडीएल को स्थानीय निकाय से स्वीकृतियां लेनी थीं, लेकिन न तो आवश्यक दस्तावेज जमा किए गए और न ही पूरी प्रक्रिया अपनाई गई। 2005 में हुए एग्रीमेंट के बाद पीडीएल ने साइट को स्पेंसर रिटेल लिमिटेड को सब-लाइसेंस पर दिया। स्पेंसर ने एमसीडी से हेल्...