चित्रकूट, अप्रैल 21 -- चित्रकूट, संवाददाता। भगवान राम की तपोभूमि धर्मनगरी चित्रकूट का ज्यादातर इलाका विंध्य पर्वत श्रंखलाओं और घनघोर जंगलों से घिरा है। धर्मनगरी की प्राकृतिक एवं अलौकिक छटा देखते ही बनती है। धार्मिक स्थल होने की वजह से हर समय दूर-दूर से लोगों का आगमन होता है। लेकिन धर्मनगरी की प्राकृतिक सौन्दर्य को कई तरह से खतरा बढ़ गया है। हर साल पौधरोपण होने के बाद भी हरियाली नहीं बढ़ रही है। रोपण के बाद ज्यादातर पौधे सुरक्षा के अभाव में नष्ट हो रहे है। पिछले तीन साल के भीतर दो करोड़ से अधिक पौधों का रोपण वन विभाग के साथ ही अन्य विभागों के जरिए कराए जाने के दावे है। हकीकत देखी जाए तो पाठा के ज्यादातर जंगलों में तेंदू के पेड़ ही केवल नजर आ रहे है। रोपित पौधों का अता-पता नहीं है। रानीपुर टाईगर रिजर्व के जंगलों में बेशकीमती पेड़ों की कटानें प्र...