नई दिल्ली, अक्टूबर 21 -- दूर तक फैली धुंध... मानो किसी सफेद चादर ने पूरी दिल्ली को ढंक लिया है। दिवाली के अगले दिन दिल्ली का ये हाल कोई आज की कहानी नहीं है। दिल्ली को पलूशन मुक्त करने के प्रयास बरसों से होते आए हैं,लेकिन उसकी जमीनी हकीकत कुछ और है और नतीजा ये है कि यह दमघोंटू हवा हमारी सांसों पर भारी पड़ रही है। गैस चैंबर सी प्रतीत हो रही दिल्ली में लोगों की हर सांस इस जहर को मानो न चाहते हुए भी निगले जा रही है। ग्रैप-2 लगने के बाद भी हवा का स्तर 350 को पार कर गया है। कहीं-कहीं तो आंकड़ा 500 के भी पार है। मतलब ग्रीन पटाखे भी दिल्ली की जहराली हवा को काबू में नहीं कर पाए। आपको पिछले सालों के भी डेटा बताते हैं जब दिल्लीवाले ऐसे ही दमघोंटू हवा में सांस लेने को मजबूर थे। 1 नवंबर 2024: सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (SAF...