नई दिल्ली, फरवरी 16 -- सुप्रीम कोर्ट के जज अभय एस ओका ने रविवार को बड़ी बात बोलते हुए कहा कि प्रत्येक शख्स को अदालती फैसलों की आलोचना करने का अधिकार है लेकिन यह रचनात्मक, गरिमा को ध्यान में रखते हुए और जिम्मेदारी की भावना के साथ किया जाना चाहिए। गुजरात राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय में व्याख्यान देते हुए उन्होंने सोशल मीडिया पर न्यायपालिका के बारे में आलोचनात्मक सामग्री से निपटने में संयम बरतने का आह्वान किया और कहा कि तथाकथित विशेषज्ञों को फैसला दिए जाने के कुछ घंटों बाद बहस करने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जहां न्यायाधीशों और बार के सदस्यों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि न्यायपालिका पूरी तरह स्वतंत्र बनी रहे, वहीं प्रत्येक शिक्षित और सही सोच वाले व्यक्ति को भी न्यायपालिका के साथ खड़ा होना चाहिए, जब उसकी स्वतंत्रता पर अति...