शामली, मार्च 3 -- माहे रमजान के पहले दिन मुस्लिमों ने रोजा रखा और खुदा से देश में अमन चैन कायम रखने की दुआ मांगी। रजमान को लेकर मस्जिदों में अकीदतमंदों की भीड रहे। रात्रि में ईशा की नमाज के बाद लोगों ने तराविह अदा की और सवेरे सेहरी में जागकर रोजे की नियत की। रमजान की बरकत से मुस्लिम मौहल्लों और बस्तियों में चहल पहल रही। रविवार को रमजान के पहले दिन मस्जिद में ब्यान करते हुए जमीअत उलेमा-ए हिन्द के सदर मौहल्ला साजिद कासमी ने कहा कि पहले पारे की शुरुआत सूरह फ़ातिहा से होती है। इस सूरह को उम्मुल किताब भी कहा जाता है। यह पारह सूरह अल बक़रह की आयत 141 तक है। सूरह फ़ातिहा की शुरुआत बिस्मिल्लाह से होती है। बिस्मिल्लाह की तिलावत के ज़रिए इस बात का इज़हार किया जाता है कि हम हर काम की शुरुआ़त अल्लाह के नाम के साथ करते हैं, जो निहायत मेहरबान और बहुत रह़म फ़...