प्रयागराज, मार्च 5 -- हिंदुस्तानी एकेडमी के गांधी सभागार में डॉ. कन्हैया सिंह की स्मृति में आयोजित पांच दिवसीय साहित्य कुम्भ के तीसरे दिन बुधवार को 'महाकुम्भ : साहित्य और संस्कृति का समागम विषय पर विद्वानों ने मंथन किया। दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. प्रदीप सिंह ने अद्वैतवाद की चर्चा करते हुए कहा कि हमारी संस्कृति अभेद की संस्कृति है। जिसमें सह अस्तित्व की चेतना है। आज जबकि तरह-तरह की अस्मिताओं का निर्माण हो रहा है और दुनिया अभेद से भेद की ओर जा रही है। कुम्भ इस बात का प्रतीक है हमारे यहां हर प्रकार की अस्मिताएं संगम की ओर भागी चली आ रही हैं। यह संस्कृति मूल रूप से मानवीय संस्कृति है। डॉ. विजय रविदास ने कहा कि कुम्भ का भारतीय लोक के जीवन से गहरा नाता है और पर्व, त्योहार भारतीय संस्कृति की विरासत है। डॉ. सत्येंद्र प्रताप ने स्थावर तीर्थ, ज...