बागपत, मार्च 3 -- मौलाना आरिफ-उल-हक ने कहा कि इस्लाम मजहब के पांच आधार में एक जकात है। कुल संपत्ति का 2.5 प्रतिशत जकात में देने का हुक्म है। उन्होंने कहा कि हर धर्म के गरीब लोगों को जकात दी जा सकती है। जरूरतमंदों को जकात जरूर देनी चाहिए। पहले रोजे के दौरान वे तकरीर कर रहे थे। उन्होंने फरमाया कि रमजान जकात देने के लिए बेहतर महीना है। रमजान में जकात देने का ज्यादा सवाब है। इस महीने में जो भी इबादत की जाती है उसका सवाब 70 गुना बढ़ जाता है। इस महीने पढ़ी जाने वाली नमाजों का भी सवाब 70 गुना हो जाता है। इसी तरह इस महीने अदा की जाने वाली जकात का भी सवाब बढ़ जाता है। इसलिए हर हैसियतमंद इंसान को जकात देनी चाहिए। कुरान में अल्लाह पाक ने जकात का बयान 32 जगहों पर किया है। जकात की तकसीम के कानून खुद अल्लाह ने तय कर दिए हैं। इसलिए ये जरूरी है कि हम जकात द...